भ्रम निवारण
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि जीव अनेको भ्रमों में जी रहा है । वह कोरी कल्पनाओं को ही साधना समझने की भूल कर रहा है । कल्पनाओं के जाल में ऐसे उलझा हुआ है कि आंख बंद करके अंदर में कभी अंधकार तो कभी प्रकाश यहां तक कि चांद तारे भी देखने का भ्रम पैदा कर लेता है । नाम के सुमिरन से ही वास्तविक अनुभव पैदा हो सकते हैं ।
कैसे होगा भ्रम निवारण
अनेकों लोग आंखें बंद करके ध्यान में बैठने का प्रयास करते हैं लेकिन उन्हें अंधकार ही दिखाई देता है । इन्हीं आंखों के द्वारा वो लोग अंदर के अंधकार में प्रकाश चांद ,तारे ,सूर्य खोजने का प्रयास करते रहते हैं । बैठे-बैठे कल्पनाओं के जाल में खो जाते हैं । मन के विचारों के साथ-साथ बहते चले जाते हैं । लेकिन यह सभी साधनाएं नहीं है । कुछ लोग इसे बहुत बड़ी साधना मानते हैं कि अंधकार में कूद गए और अब तो कभी ना कभी दिव्य प्रकाश का अनुभव होने ही वाला है । थोड़ी बहुत साधना करने वालों को कभी कोई देवी - देवताओं के दर्शन हो भी जाएं तो वह अहंकार में स्वयं को सिद्ध समझने की भूल कर बैठता है । लेकिन यह कोई सिद्ध अवस्था नहीं है बल्कि भ्रम अवस्था है । इस भ्रम के निवारण के लिए जीव को लगातार नाम का सुमिरन करना पड़ेगा । जिस प्रकार से तेज धूप के अंदर सड़क के ऊपर जल होने का भ्रम पैदा हो जाता है उसी प्रकार से ये छोटे-छोटे अनुभव आप लोगों के अंदर भ्रम पैदा कर देंगे और आपको साधना मार्ग से भटका देंगे । सभी प्रकार के भ्रम को समाप्त करने के लिए पूर्ण गुरु के चरणों में समर्पण करना जरूरी है ।