प्रकृति और पुरष
बहुत से लोग माया और परमात्मा के विषय में चर्चा करते रहते हैं कि माया परमात्मा के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है । लेकिन वो लोग यह नहीं जानते माया तो परमात्मा की दासी है । माया और परमात्मा का रिश्ता बहुत ही नजदीकी है । जिस प्रकार से प्रकृति और पुरुष है । साधना की कोशिश में लगे हुए साधक लोग माया को अपना दुश्मन समझ कर उससे बचने की प्रयास करते रहते हैं । उन्हें इस बात का पता ही नहीं माया से बचा नहीं जा सकता बल्कि माया को समझ कर सीढ़ी बनाकर परमात्मा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है । किसी भी परिस्थिति से माया को दबाना या उससे भागना नहीं है बल्कि जागना है । माया को भगाने के कितने ही जतन करते रहो यह दूर नहीं हो सकती । जिस प्रकार से जहरीले सर्प के दांत निकाल दिए जाएं फिर वह बिना जहर वाला सर्प नहीं काट सकता और अगर काटेगा तो भी कोई प्रभाव नहीं होगा वैसे ही माया को अगर अच्छे से समझ लिया तो माया आपकी साधना में कोई भी विघ्न पैदा नहीं कर पाएगी । अनेकों जगह बिल्लियों के पंजे निकाल दिए जाते हैं फिर वह कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाती वैसे ही आप लोग जब माया को पूरी तरह से समझ लेंगे तब आपके ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं होगा । जब आपको पता चल ही जाएगा कि यह माया है तो आप उससे दूर रहें या उसके पास रहे कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा ।
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने माया और परमात्मा के नजदीकी रिश्ते के विषय में बताया है । लेकिन जीव भ्रमवश माया और परमात्मा को अलग अलग करना चाहता है । यह असंभव कार्य है क्योंकि माया को दूर नहीं करना है बल्कि इसे बहुत अच्छे से होशपूर्वक समझना है । जब जीव माया को बहुत अच्छे से समझ जाएगा तो वह माया को सीढ़ी बनाकर ब्रह्म के मार्ग पर अग्रसर हो ही जाएगा । उदाहरण के लिए जैसे किसी साँप का जहरीला प्रभाव खत्म कर दिया जाए तो वह नुकसान नहीं पहुंचा सकता वैसे ही माया को समझ लिया नुकसान नहीं होगा बल्कि आध्यात्मिक मार्ग में उन्नति होगी ।