समय की मार
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि युवावस्था में सभी जीव अहंकार से परिपूर्ण होकर परमात्मा को भूल जाते हैं । उनके अंदर शरीर का ही अहंकार बहुत ज्यादा होता है । लेकिन यह ताकत स्थाई नहीं है एक ना एक दिन क्षीण हो जाएगी । आप इतिहास उठा कर देखिए बड़े से बड़े पहलवान भी समय की मार को नहीं झेल पाए । मनुष्य को समय रहते हुए परमात्मा की भक्ति करनी ही चाहिए क्योंकि यही मानव चोले का एकमात्र सदुपयोग है ।
युवावस्था में सभी जीव अहंकार से परिपूर्ण होकर परमात्मा को भूल जाते हैं । उनके अंदर शरीर का ही अहंकार बहुत ज्यादा होता है । लेकिन यह ताकत स्थाई नहीं है एक ना एक दिन क्षीण हो जाएगी । आप इतिहास उठा कर देखिए बड़े से बड़े पहलवान भी समय की मार को नहीं झेल पाए । मनुष्य को समय रहते हुए परमात्मा की भक्ति करनी ही चाहिए क्योंकि यही मानव चोले का एकमात्र सदुपयोग है ।
यह शरीर ,घर परिवार ,समाज कुछ भी काम नहीं आएगा । अंत समय में आपके द्वारा जीवनभर की गई भक्ति व सुमिरन ही काम आएगा । आप दशरथ जी का उदाहरण देखिए अंतिम समय में कोई भी उनके पास नहीं था । बड़ी ही मुश्किल से कैसे छटपटा कर प्राण शरीर से बाहर निकले थे । बिना भजन के आमजन की हालत तो इससे कई गुणा ज्यादा खराब होगी । इस प्रकार की घटनाओं को आप केवल पढ़े ही नहीं बल्कि इनसे सीखें । यह सारा का सारा संसार नाशवान है और एकमात्र वह परमात्मा ही अविनाशी है जो आत्म रूप में विराजमान है । मृत्यु के बाद की यात्रा आपको अकेले ही तय करनी होगी ।