साधना की शुरुआत
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि जब साधना की शुरुआत होती है तो आरंभ में ही अनेकों लोग मन को पूरी तरह से काबू में करने की सोचते हैं । लेकिन एक घंटा ध्यान के अभ्यास के बावजूद भी अगर 1 या 2 मिनट आपका मन निर्विचार हो जाए तो यह बहुत ही बड़ी बात होती है । अगर 1 मिनट भी आपका ध्यान लग जाता है तो इसे आप परमात्मा की मेहर ही समझना । जब जीव साधना करता है तो ऊर्जा उर्ध्वगामी होने लगती है लेकिन साथ - साथ विचार , वासनाएं भी भी बढ़ने लगती है । लगातार नाम सुमिरन के अभ्यास से और गुरु कृपा से ऊर्जा अधिक ऊर्ध्वगामी होगी व नीचे के चक्रों से ऊपर उठ जाएगी तब आपका ध्यान आसानी से लगने लगेगा ।
जब साधना की शुरुआत होती है तो आरंभ में ही अनेकों लोग मन को पूरी तरह से काबू में करने की सोचते हैं । लेकिन एक घंटा ध्यान के अभ्यास के बावजूद भी अगर 1 या 2 मिनट आपका मन निर्विचार हो जाए तो यह बहुत ही बड़ी बात होती है । अगर 1 मिनट भी आपका ध्यान लग जाता है तो इसे आप परमात्मा की मेहर ही समझना । जब जीव साधना करता है तो ऊर्जा उर्ध्वगामी होने लगती है लेकिन साथ - साथ विचार , वासनाएं भी भी बढ़ने लगती है । लगातार नाम सुमिरन के अभ्यास से और गुरु कृपा से ऊर्जा अधिक ऊर्ध्वगामी होगी व नीचे के चक्रों से ऊपर उठ जाएगी तब आपका ध्यान आसानी से लगने लगेगा ।
जब यह जीव काम से राम की तरफ यात्रा को गति देता है ध्यान व साधना के द्वारा तब उसका हृदय परिवर्तन, मन के विचारों में बदलाव आने लगता है । उसकी इच्छाएं समाप्त होने लगती हैं और परमात्मा के सुमिरन में उसे अनंत आनंद की प्राप्ति होने लगती है । सारी की सारी वासनाएं नीचे ही रह जाती हैं । उसके चेहरे के ऊपर नूर झलकने लगता है व शब्द के अंदर ताकत आने लगती है । छोटी-छोटी इच्छाओं के जाल में न उलझकर इनसे ऊपर उठकर परमात्मा प्राप्ति को लक्ष्य मानकर नाम के सुमिरन की तरफ अग्रसर होने लगता है ।