मानवता और धर्म | मानवता श्रेष्ठ है या धर्म |
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि आज का मनुष्य बहुत अधिक बदल गया है । इसमे प्रेम, भाईचारा , सत्य, अहिंसा, त्याग ,कर्तव्य निभाना इत्यादि अनेकों गुण जो पहले होते थे , अभी देखने को नहीं मिलते ।
अनेकों दुर्गुण जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार , वासनाएं , पाखंड इत्यादि में उलझ गया है । सभी अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने में लगे हुए हैं । साधारण जीवों की ही नहीं स्वयंघोषित गुरुओं की भी यही हालत है । परमात्मा के नाम पर भी बहुत ही ज्यादा पाखंड चल रहा है । नरक इत्यादि का भय दिखाया जाता है । लोगों की भावनाओं के साथ खेल खेला जा रहा है । ये पाखंडी स्वयघोषित सन्त जो खुद को धर्मगुरु बताते हैं लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा करके भ्रम का जाल फैला रहे हैं ।
बिना दिव्य नजर के पूर्ण सिद्ध लोगों को पहचाना नहीं जा सकता । केवल छोटी मोटी सिद्धियों के प्रभाव में आत्म ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता । समाज को दिशा देने वाले इन झूठे गुरुओं की ही यह हालत है तो आम लोगों की हालत क्या होगी । धर्म के नाम पर यह पाखंड चल रहा है ।
अगर गुरू पूर्ण नहीं है तो वह शिष्य को कैसे जागृत कर सकता है । इसीलिए पूर्ण व जागृत गुरु की तलाश करनी चाहिए ।