संसार के आवागमन से मुक्ति
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि पूर्ण गुरु के पास रुक पाना बहुत ही मुश्किल कार्य है । क्योंकि जीव अपना पूर्ण समर्पण नहीं कर पाता व गुरु के आदेशों का पालन भी नहीं कर पाता ।
जब जीव के मन के ऊपर चोट होती है तो जीव छटपटाने लगता है और वहां से भाग खड़ा होता है । अगर गुरु जीव की छोटी-मोटी परीक्षा भी ले ले तो भी उसे सब कुछ स्वयं के प्रतिकूल लगने लगता है। अपने गुरु में ही कमियां खोजने लगते हैं । अपने मन के मुताबिक संतों की परिभाषा उन्होंने बना रखी होती है जो वास्तविक संत के पास पहुंचने पर टूट जाती है ।
संतो के पास केवल योग्य जीव ही रुक सकते हैं । आदेश देने वाले और तर्क करने वाले ,बुद्धि का उपयोग करने वाले कभी भी संतों के पास नहीं रुक पाते । जब तक कल्याण करने वाला पूर्ण गुरु प्राप्त नहीं होगा तब तक जीव को परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती।परमात्मा ने सभी जीवों को यह जीवन दिया है जिसके सदुपयोग से जीव अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। यह जीवात्मा जितनी अधिक परमात्मा के नजदीक होती है उतनी ही इसकी पवित्रता बढ़ती चली जाती है और इस पर जितना अधिक कर्मों का भार होता है यह उतनी ही अपवित्र होती है ।