दो तरह के गुरु
इस वीडियो के माध्यम से गुरु रणदीप जी ने बताया है कि जीव कहता है कि उसके पास भक्ति करने का समय ही नहीं है। बहाना बनाते रहते हैं कि भक्ति में और नाम सुमिरन में मन ही नहीं लगता । ऐसे दावे करते हैं कि एक बार इस संसार के सभी कार्यों से निपट जाए उसके बाद ध्यान ही करेंगे ।लेकिन इस संसार में कोई भी फ्री नहीं हो सकता क्योंकि जैसे ही एक इच्छा की पूर्ति होगी वैसे ही दूसरी इच्छा अपने आप ही जन्म ले लेगी । ऐसे ही सारा समय व्यर्थ में समाप्त हो जाएगा । अंत में वृद्ध अवस्था में जब आप बोलोगे कि अब हमारे पास समय है उस वक्त आप कुछ देर बैठकर भी परमात्मा का सुमिरन नहीं कर पाओगे । क्योंकि उस समय शरीर अनेकों रोगों से घिरा होगा । आप चाह कर भी अपने मन को एकाग्र नहीं रख पाओगे ।
संत आपको जन्मों-जन्मों से जगाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन जीव है कि जागना ही नहीं चाहता । लोग सांसारिक कार्यों की पूर्ति के लिए संतो के पास आते हैं लेकिन सन्त उन्हे परमात्मा के मार्ग पर चलाने का प्रयास करते हैं।
इस संसार में दो तरह के गुरु होते हैं एक तो वो होते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु गद्दी पर विराजमान होकर सुख को भोगकर चले जाते हैं लेकिन दूसरी तरह के गुरु जीवों को जगाने के लिए इस धरा पर आते हैं ।