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भक्ति योग

भक्ति योग

यह योगभाव प्रधान हृदय प्रधान योग है। इसके अतंर्गत जीव को गोविंद जी की भक्ति की तरफ अग्रसर किया जाता है। भक्तियोग परा-पे्रम का मार्ग है, जिस पर चलकर जीव अपने ईष्ट पर पूर्ण समर्पित हो जाता है और अंततः एकीकार हो जाता है। भक्तियोग के द्वारा जीव को निष्काम प्रेम तथा समर्पण सिखाया जाता है। इसकी शुरूआत जीव को रूप के ध्यान से करवाई जाती है तथा भाव समाधि तक ले जाया जाता है। भक्तियोग के द्वारा जीव को ‘‘साकार सिद्धि’’ तक ले जाया जाता है फिर निराकार सिद्धि और अंततः आत्मसिद्धि पर पहुंचाया जाता है।

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गौरवशाली सेवादार बनें- श्रीगोविंदधाम गतौली, जींद हरियाणा में हजारों की संख्या में सेवादार कार्यरत हैं। ये सभी सेवादार गुरूजी के आदेश अनुसार पूरी निष्ठा के साथ सेवादान कर रहे हैं। गुरूजी बताते हैं कि सेवा, सत्संग, सुमिरन और समर्पण इन चार चीजों का परमात्मा तक पहुंचने में विशेश योगदान होता है। इनमें सेवा सबसे पहला अंग है, जो तन, मन, धन से धाम के कार्यों के लिए सदैव तत्पर है। वहीं सच्चा सेवादार है।